अब तो आप से यह भी कहना पड़ेगा कि यह न सोचें कि अगर आप किसी प्रागैतिहासिक चेतना की ड्योढ़ी पर बैठ कर आज की कविता पढ़ने का प्रच्छन्न प्रस्ताव करेंगे तो इसके लिए वैचारिक वहुलतावाद के तर्क से आप की पीठ थपथपा दी जाएगी।
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अब तो आप से यह भी कहना पड़ेगा कि यह न सोचें कि अगर आप किसी प्रागैतिहासिक चेतना की ड्योढ़ी पर बैठ कर आज की कविता पढ़ने का प्रच्छन्न प्रस्ताव करेंगे तो इसके लिए वैचारिक वहुलतावाद के तर्क से आप की पीठ थपथपा दी जाएगी।
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अब तो आप से यह भी कहना पड़ेगा कि यह न सोचें कि अगर आप किसी प्रागैतिहासिक चेतना की ड्योढ़ी पर बैठ कर आज की कविता पढ़ने का प्रच्छन्न प्रस्ताव करेंगे तो इसके लिए वैचारिक वहुलतावाद के तर्क से आप की पीठ थपथपा दी जाएगी।